कोरबा: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में भीतरघात और जातिगत राजनीति का बड़ा खुलासा हुआ है। नगर पालिका निगम के सभापति चुनाव के ठीक पहले एक विवादित ऑडियो वायरल हुआ है, जिसमें पार्टी के ही कुछ वरिष्ठ नेता और प्रभावशाली कार्यकर्ता ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) नेताओं को दरकिनार करने की साजिश रचते सुनाई दे रहे हैं।
यह ऑडियो सामने आने के बाद भाजपा के भीतर तूफान मच गया है। पार्टी के ओबीसी नेताओं और कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है, और अब भाजपा नेतृत्व पर इस मामले में कार्रवाई करने का जबरदस्त दबाव बढ़ गया है।
🔴 ऑडियो में क्या है? – अंदरखाने की साजिश बेनकाब
सूत्रों के अनुसार, इस लीक हुए ऑडियो में भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता और सेठ नुमा कार्यकर्ता यह रणनीति बनाते सुने जा रहे हैं कि कैसे ओबीसी वर्ग के नेताओं को संगठन और सत्ता से दूर रखा जाए। बातचीत में साफ सुना जा सकता है कि –
नगर पालिका निगम के सभापति चुनाव में ओबीसी वर्ग के नेताओं की दावेदारी कमजोर करने की साजिश रची जा रही है।
पार्टी के भीतर ही एक खेमा नहीं चाहता कि पिछड़ा वर्ग के नेता संगठन में मजबूत हों।
सत्ता और प्रमुख पदों पर केवल कुछ खास वर्ग के लोगों को ही आगे बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है।
यह ऑडियो सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा के भीतर जातिगत राजनीति और गुटबाजी ने अपनी जड़ें गहरी जमा ली हैं।
⚡ भाजपा कार्यकर्ताओं का गुस्सा – नेतृत्व पर उठे सवाल
भाजपा के ओबीसी नेताओं और कार्यकर्ताओं में इस खुलासे के बाद जबरदस्त आक्रोश है। कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस ऑडियो को पार्टी के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया है और शीर्ष नेतृत्व से इस पर तत्काल संज्ञान लेने की मांग की है।
कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताते हुए कहा –
“हमने पार्टी को अपना खून-पसीना दिया, लेकिन अगर हमें हाशिए पर डालने की साजिश होगी, तो हम चुप नहीं बैठेंगे।”
भाजपा का ओबीसी वर्ग से लंबे समय से गहरा जुड़ाव रहा है, लेकिन इस तरह की अंदरूनी राजनीति पार्टी के लिए भारी नुकसानदायक साबित हो सकती है।
🔹 क्या भाजपा को होगा राजनीतिक नुकसान?
इस पूरे घटनाक्रम से भाजपा की छवि को करारा झटका लग सकता है। पार्टी हमेशा से “सबका साथ, सबका विकास” की नीति पर जोर देती आई है, लेकिन इस ऑडियो ने उस दावे को खोखला साबित कर दिया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि –
- अगर भाजपा ने इस पर सख्त कदम नहीं उठाए, तो यह विवाद और गहरा सकता है।
- ओबीसी नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी पार्टी के भीतर बगावत का रूप ले सकती है।
- आगामी चुनावों में भाजपा को ओबीसी मतदाताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।
यह मामला सिर्फ नगर पालिका चुनाव तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी असर डाल सकता है।
🔴 पार्टी नेतृत्व की परीक्षा – क्या होगी कार्रवाई?
अब सवाल यह उठता है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस मामले में क्या रुख अपनाएगा?
- क्या ऑडियो में शामिल नेताओं पर कार्रवाई होगी?
- क्या भाजपा ओबीसी वर्ग के नेताओं को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए ठोस कदम उठाएगी?
- या फिर यह मामला सिर्फ “भीतरखाने सुलझाने” की कोशिश में दबा दिया जाएगा?
भाजपा के लिए यह परीक्षा की घड़ी है। अगर पार्टी इस मुद्दे को हल्के में लेती है, तो इसका दीर्घकालिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या भाजपा अपने ही नेताओं की साजिश को बेनकाब कर कार्यकर्ताओं का विश्वास बनाए रखेगी, या फिर सत्ता और पदों की राजनीति में पिछड़ा वर्ग को हाशिए पर ही रखा जाएगा?