
वादिनी के विरोध के बावजूद गवाहों और दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट ने सुनाया फैसला
रामकनाली, झारखंड। रामकनाली ओपी क्षेत्र के चर्चित यौन शोषण मामले में नया मोड़ सामने आया है। केशलपुर निवासी सरोज खत्री, जिस पर एक महिला ने शादी का झांसा देकर यौन शोषण करने और गर्भपात कराने का आरोप लगाया था, उसे झारखंड के माननीय सत्र न्यायालय से अग्रिम जमानत मिल गई है।
क्या है मामला?
रामकनाली ओपी कांड संख्या 374/2024 के तहत एक महिला ने सरोज खत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी। महिला का दावा था कि आरोपी ने उसे शादी का झांसा देकर कई बार संबंध बनाए और गर्भवती होने पर जबरन गर्भपात कराया।
अदालत में क्या हुआ?
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आरोपी के अधिवक्ता गजेंद्र कुमार ने कोर्ट को बताया कि इसी महिला ने पहले गोविंदपुर थाना में शिकायत दर्ज कराते हुए खुद को आरोपी की पत्नी बताया था। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि “एक पति कभी बलात्कारी नहीं हो सकता।”
इसके अतिरिक्त, वादिनी के माता-पिता, बड़ी बहन और अन्य गवाहों ने भी अपने बयान में आरोपी को वादिनी का पति स्वीकार किया। अदालत ने इन तथ्यों को गंभीरता से लेते हुए आदेश को सुरक्षित रखा था, जिसे गुरुवार को सुनाया गया।
अभियोजन पक्ष का विरोध
वादिनी स्वयं कोर्ट में उपस्थित होकर लोक अभियोजक के साथ जमानत का विरोध कर रही थी। लेकिन पूर्व शिकायत और गवाहों के बयानों से महिला की बातों में विरोधाभास सामने आया, जिससे अभियोजन पक्ष कमजोर पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला
अधिवक्ता गजेंद्र कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम राज्य फैसले का हवाला देते हुए कोर्ट से कहा कि किसी व्यक्ति को बिना पुख्ता साक्ष्यों के जेल भेजना न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है।
नतीजा
इन तमाम तर्कों और तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने सरोज खत्री को अग्रिम जमानत प्रदान की, जिससे उसे गिरफ्तारी से राहत मिल गई है।
निष्कर्ष:
यह मामला दर्शाता है कि हर यौन शोषण के आरोप के पीछे सच्चाई की गहराई में जाना आवश्यक है। कोर्ट ने संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए सभी पक्षों को सुनकर निष्पक्ष फैसला सुनाया।