जिला प्रशासन ने अस्पताल पर कसा शिकंजा, 15 दिन के लिए भर्ती और ऑपरेशन पर रोक
बिलासपुर | 13 मार्च 2025

बिलासपुर का यूनिटी हॉस्पिटल एक बार फिर विवादों में घिर गया है। नर्सिंग छात्रा किरण वर्मा की संदिग्ध मौत ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। थायरॉयड की गांठ की सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया देने के बाद छात्रा कोमा में चली गई और दो दिन बाद उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया, जिसके बाद प्रशासन ने जांच कमेटी गठित कर सख्त कार्रवाई के संकेत दिए थे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए हुई त्वरित जांच
इस प्रकरण में बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) ने निर्देश पर छह डॉक्टरों की एक विशेष जांच टीम गठित की। इस टीम को अस्पताल में हुई चिकित्सा प्रक्रिया, एनेस्थीसिया देने की तकनीक, ऑपरेशन थियेटर के मानकों और मरीज की मृत्यु के कारणों की गहन जांच करने की जिम्मेदारी दी गई।
जांच टीम में शामिल विशेषज्ञ:
- डॉ. अनिल गुप्ता – सिविल सर्जन, जिला चिकित्सालय बिलासपुर
- डॉ. विजय मिश्रा – नोडल अधिकारी, नर्सिंग होम एक्ट
- डॉ. मनीष श्रीवास्तव – ईएनटी विशेषज्ञ
- डॉ. रेणुका सेमुएल – स्त्री रोग विशेषज्ञ
- डॉ. उमेश साहू – निश्चेतना विशेषज्ञ
- डॉ. सौरभ शर्मा – निरीक्षण दल सदस्य
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य!
जांच टीम ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी है, जिसमें अस्पताल की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। प्राथमिक निष्कर्षों के अनुसार, एनेस्थीसिया देने में तकनीकी खामी या लापरवाही की संभावना जताई गई है।
- क्या सही मात्रा में एनेस्थीसिया दिया गया था?
- सर्जरी के दौरान क्या जरूरी सावधानियां बरती गईं?
- मरीज कोमा में क्यों गया, और उसे बाहर निकालने के प्रयास कितने प्रभावी थे?
इन सभी बिंदुओं पर गहराई से जांच जारी है। सूत्रों के अनुसार, अगर अस्पताल की लापरवाही साबित होती है तो अस्पताल का लाइसेंस भी निलंबित किया जा सकता है।
जिला कलेक्टर की सख्त कार्रवाई – अस्पताल पर लगी 15 दिन की रोक
जिला कलेक्टर ने इस मामले को गंभीर लापरवाही मानते हुए यूनिटी हॉस्पिटल में आगामी 15 दिनों तक नए मरीजों की भर्ती और ऑपरेशन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जब तक पूरी जांच नहीं हो जाती, तब तक अस्पताल में कोई नई सर्जरी नहीं की जा सकेगी।
परिजनों का गुस्सा – “यह हत्या है, लापरवाही नहीं!”
किरण वर्मा के परिजनों का कहना है कि यह सिर्फ मेडिकल लापरवाही नहीं, बल्कि अस्पताल की घोर आपराधिक लापरवाही है। मृतका के पिता का कहना है,
“हम अपनी बेटी को एक साधारण सर्जरी के लिए अस्पताल लेकर गए थे, लेकिन वहां जो हुआ वह किसी मर्डर से कम नहीं। डॉक्टरों की लापरवाही से हमारी बेटी हमें छोड़कर चली गई। हमें न्याय चाहिए!”
यूनिटी हॉस्पिटल पर पहले भी लगे हैं गंभीर आरोप
यह पहला मौका नहीं है जब यूनिटी हॉस्पिटल विवादों में आया हो। इससे पहले भी इस अस्पताल पर गलत इलाज, गलत दवा देने और मरीजों से मनमाने पैसे वसूलने के आरोप लग चुके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को सिर्फ जांच तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
क्या यह सिर्फ एक हादसा था या मेडिकल नेग्लिजेंस का मामला?
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह सिर्फ एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना थी, या फिर एक बड़ा मेडिकल नेग्लिजेंस का मामला? क्या डॉक्टरों की लापरवाही से किरण वर्मा की जान गई, या फिर यह एक अनजाने में हुई तकनीकी गलती थी? इन सवालों के जवाब प्रशासन की आगामी जांच रिपोर्ट में मिलेंगे।
फिलहाल पूरे शहर की नजर इस मामले पर टिकी हुई है। अगर यूनिटी हॉस्पिटल दोषी पाया गया, तो यह छत्तीसगढ़ के मेडिकल सिस्टम पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर देगा।
